तो क्या राधा ही रुकमणी थीं
संसार के सबसे बड़े महाकाव्य 'महाभारत' में एक प्रसंग है, जिसमें माता लक्ष्मी के रहस्य के बारे में बताया गया है। महाभारत के अनुशासन पर्व के अनुसार एक बार युधिष्ठिर ने भीष्म से प्रश्न किया, रुक्मणी और राधा में क्या समानता है। Radharani तब भीष्म ने बताया कि, एक बार लक्ष्मी जी ने रुक्मिणी से कहा कि मेरा निवास तुममे (रुक्मिणी) और राधा में का निवास गोकुल कि गोलोक में निवास है। राधा वृषभानु नामक गोप की पुत्री थी। राधा की माता कीर्ति के लिए 'वृषभानु पत्नी' शब्द का प्रयोग किया जाता है। पद्म पुराण में इस बात का विस्तार से उल्लेख मिलता है। श्रीकृष्ण के तत्व दर्शन को रुक्मिणी को देह और राधा को आत्मा माना गया है। श्रीकृष्ण का रुक्मिणी से दैहिक और राधा से आत्मिक संबंध माना गया है। रुक्मिणी और राधा का दर्शन बहुत गहरा है। इसे सम्पूर्ण सृष्टि के दर्शन से जोड़कर देखें तो सम्पूर्ण जगत की तीन अवस्थाएं हैं। जोकि क्रमश: स्थूल, सूक्ष्म, कारण हैं। स्थूल जो दिखाई देता है जिसे हम अपने नेत्रों से देख सकते हैं और हाथों से छू सकते हैं वह कृष्ण-दर्शन में रुक्मणी कहलाती हैं।